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मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर
कम्प्यूटर आज के समय की सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली मशीन है और कहा जाता है कि यह मनुष्य से कहीं बढकर है, इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता है, हमारे हिसाब से कम्प्यूटर केवल आपके जरूरत की मशीन है, जिस प्रकार आप हाथ से कोई दीवार या पत्थर नहीं तोड सकते थे, तो आपने हथोडे को बनाया, उसी प्रकार आपने कुछ जरूरी काम करने के लिये कम्प्यूटर को बनाया, तो इसकी तुलना हमसे कैसे हो सकती है, आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है।
मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर | human brain and computer |
रंगों की पहचान करने में
जहाँ तक रंगों में अंतर करने की बात है, तो मनुष्य की आंख लगभग 1 करोड रंगों में अंतर कर लेती है, लेकिन एक 32 बिट का कम्प्यूटर 1 करोड 60 लाख रंगों में अंतर कर पाता है।
गणना करने में
मनुष्य इस मामले में कम्प्यूटर से पीछे हैं, जी हाँ मनुष्य का दिमाग 2 या 3 अंकों की गणना बडे आराम से कर लेता है, लेकिन अगर यही गणना 10 या 12 अंकों की हो तो बहुत अधिक समय लगता है और यदि इसे और बडा कर दिया जाये, तो आपको लगभग सारा दिन लग जायेगा, लेकिन कम्प्यूटर इसे कुछ ही सेकेण्ड में हल कर देता है।
चेहरे पहचाने में
कम्प्यूटर फेस रिकग्निशन तकनीक के माध्यम से चेहरे को पहचानने का काम करता है, जिसमें वह चेहरे के कुछ हिस्सों को पांइट करता है, जिससे वह बडे आराम से किसी का भी चेहरा पहचान लेता है, अब यही तकनीक फेसबुक सोशल नेटवर्किग साइट भी यूज कर रही है, लेकिन इंसानी दिमाग इससे भी आगे है, पूरी दुनिया में अरबों लोग रहते हैं और सभी के चेहरे अलग-अलग होते हैं, इंसानी दिमाग इन सभी के चेहरों में अंतर बडे आराम से कर लेता है, यहाँ तक कि वह केवल आँखों को देखकर ही व्यक्ति की पहचान कर सकता है और यही नहीं अगर दो चेहरों को मिलाकर एक नया चेहरा बना दिया जाये, जैसा कि अक्सर न्यूज पेपर में आपने देखा होगा, दिमाग उन दोनों चेहरों में अंतर कर उनको भी पहचान लेता है।
वस्तुओं की पहचान में
आपका दिमाग केवल देखने भर से नमक और चीनी में अंतर कर सकता है, इसके अलावा और भी रोजमर्रा काम आने वाली चीजों के बीच अंतर करने में इंसानी दिमाग माहिर है, हालांकि अब गूगल ग्लास, जैसी एप्लीकेशन हैं जो इमेज स्कैन करते ही चीजों को पहचान सकती है, लेकिन सटीकता से नहीं।
निर्णय लेने की क्षमता में
यहाँ भी इंसानी दिमाग का कोई जबाव नहीं है, आप पल भर में कोई भी निर्णय ले सकते है, जहाँ पर कम्प्यूटर भी फेल हो जाते हैं, वहां इंसानी दिमाग ही विजय प्राप्त करता है, जैसे ड्राइविंग करते समय, कोई खेल खेलते समय जैसे- शतरंज, क्रिकेट, बैडमिटंन, वीडियो गेम आदि और यहाँ तक कि फाइटर प्लेन के पायलट तो इससे भी तेज निर्णय लेने के लिये जाने जाते हैं, यहाँ कम्प्यूटर इंसानी दिमाग से काफी पीछे है।
किसी मशीन को कन्ट्रोल के मामले में
कम्प्यूटर चाहे कितना ही शक्तिशाली और तेज क्यों ना हो, है तो एक मशीन ही और मनुष्य के दिमाग का इस मामले में भी कोई जबाब नहीं है, फिर चाहे वह घरेलू कम्प्यूटर हो या किसी स्पेसशिप का कन्ट्रोल सिस्टम, मनुष्य का दिमाग सभी को समझ लेता है और ऑपरेट कर लेता है, उदाहरण- यदि एक टाइपिस्ट जब की-बोर्ड पर टाइपिंग करता है, तो वह की-बोर्ड की तरफ देखता भी नहीं है, तो फिर वह बिलकुल सटीक अक्षर कैसे टाइप कर पाता है, यह कमाल भी दिमाग का है, जब आप टाइपिंग का अभ्यास करते है, तो दिमाग आपको उॅगलियों से दबने वाले बटन और दूसरे बटनों के दूरी और अक्षर को याद कर लेता है और यही नहीं आप काफी तेजी से टाइप भी कर पाते हैं।
प्रैक्टिकल के मामले में
आपको बता दें कि कम्प्यूटर केवल वही कार्य कर सकता है, जिसके लिये उसे प्रोग्राम किया गया हो, लेकिन अगर उसे अलग कोई काम करना हो तो कम्प्यूटर उसे नहीं कर पाता है, लेकिन इंसानी दिमाग प्रैक्टिकल होता है, वह किसी भी कार्य को करने के लिये कोई ना कोई रास्ता खोज ही लेता है, जिसे आप हिंदी भाषा में जुगाड भी कहते हैं, यह अद्वितीय क्षमता केवल और केवल मनुष्य के पास ही है।
निरंतर कार्य करने की क्षमता में
हमने बहुत जगह पढा है कि कम्प्यूटर कभी थकता नहीं है, वह निरंतर कार्य करता रह सकता है और इंसानी दिमाग थक जाता है, उसे सोने की आवश्यकता होती है, हमने अभी तक कोई ऐसा रोबोट या मशीन नहीं देखी, जो बिजली या बैट्ररी के बगैर चल सके या उसे चार्जिग की आवश्कता न हो, ऐसा ही मनुष्य के दिमाग और शरीर के साथ है, सोते समय भी मनुष्य का दिमाग कार्य करता रहता है, जब आप सो रहे होते हैं तब भी आपके मन में विचार आते रहते है, आप सपने देखते रहते हैं और बात रही थकने की तो कम्प्यूटर में भी हैंग होने की बीमारी होती है।
संग्रह क्षमता में
कम्प्यूटर में आप दुनिया भर के गाने, वीडियो और संग्रहित कर रख सकते हैं, यह क्षमता मनुष्य के दिमाग के पास भी होती है, वह आस-पास होने वाली घटनाओं को रिकार्ड करता रहता है, लेकिन गैर जरूरी घटनाये समय के साथ अपने आप डिलीट होती रहती है, जबकि कम्प्यूटर में आपको इसके लिये स्वंय ही उन फाइलों को डिलीट करना पडता है, लेकिन संग्रह क्षमता में फिर भी कम्प्यूटर ही आगे है।
अंंत में
इंसानी दिमाग और इंसानी शरीर मिलकर कई सारे काम कर सकते हैं, जो अकेला कम्प्यूटर कभी नहीं कर सकता है, आप नोट गिन सकते हैं, आप ड्राइव भी कर सकते हैं, आप पढ भी सकते हैं, आप खाना भी पका सकते हैं, आप कैक्यूलेशन भी कर सकते हैं, आप कम्प्यूटर भी चला सकते हैं, जरा सोचिये कम्प्यूटर को आपने यानि मनुष्य ने बनाया है, तो फिर वह मनुष्य से श्रेष्ठ कैसे हो सकता है, हाँ वह एक अच्छी मशीन भले ही हो लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता है, यह केवल मशीन है इसे मशीन ही मानिये तथा इसकी मदद से श्रेष्ठ कार्य कीजिये और देश का नाम गर्व से ऊँचा कीजिये।
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