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सीपीयू के अन्दरूनी भाग
हार्ड डिस्क :-
यह वह भाग है जिसमें कम्प्यूटर के सभी प्रोग्राम और डाटा सुरक्षित रहते है, हार्ड डिस्क की मेमोरी स्थायी होती है, इसीलिए कम्प्यूटर को बंद करने पर भी इसमें सुरक्षित प्रोग्राम और डाटा समाप्त नहीं होता है, आज से 10 वर्ष पहले हार्डडिस्क की स्टोरेज क्षमता गीगाबाइट, जीबी, मेगाबाइट, एमबी तक सीमित रहती थी, किन्तु आजकल हार्ड डिस्क की स्टोरेज क्षमता को टेराबाइट या टीबी में मापा जाता है, किन्तु आजकल 500 जीबी तथा 1TB या 1000 GB के क्षमतायुक्त पीसी लोकप्रिय हो गए है, हार्ड डिस्क की क्षमता जितनी अधिक होगी उतना ही ज्यादा डाटा स्टोर किया जा सकता है।
सीपीयू के अन्दरूनी भाग | cpu ke internal part |
मदर बोर्ड :-
मदर बोर्ड फाइबर ग्लास का बना एक समतल प्लैटफार्म होता है, जो कम्प्यूटर के सभी हार्डवेयरों को जैसे की बोर्ड, माउस, एलसीडी, प्रिन्टर आदि को एक साथ जोडें रखता है, मदरबोर्ड से ही प्रोसेसर, हार्डडिस्क, रैम भी जुडी रहती है तथा यूएसबी या पेनड्राइव लगाने के लिये यूएसबी पाइन्ट मदरबोर्ड में दिये गये होते हैं, साथ ही मदरबोर्ड से ही हमें ग्राफिक तथा साउण्ड का आनन्द भी मिलता है।
सेन्ट्रल प्रासेसिग यूनिट (प्रोसेसर) :-
यह कम्प्यूटर का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाग है, इसमें एक माक्रोप्रोसर चिप रहता है, जो कम्प्यूटर के लिए सोचने के सभी काम करता है और यूजर के आदेशो तथा निर्देशों के अनुसार प्रोग्राम का संचालन करता है, एक तरह से यह कम्प्यूटर का दिमाग ही होता है, इसी वजह से यह काफी गरम भी होता है और इसको ठंडा रखने के लिेये इसके साथ एक बडा सा फैन भी लगाया जाता है, जिसे सीपीयू फैन कहते हैं, आजकल प्रोसेसर पिन लैस आते हैं, लेकिन आज से 5 साल पहले पिन वाले प्रोसेसर आते थे, इसमें सबसे प्रचलित पैन्टीयम 4 प्रोसेसर रहें हैं, आज के समय में इन्टेल कम्पनी के डयूलकोर और आई-3 या आई-7 प्रोसेसर काफी प्रचलित हैं, इन प्रोसेसरों से कम्प्यूटर की क्षमता काफी बढ जाती है।
डीवीडी राइटर :-
यह वह भाग है जो डीवीडी राइटर डिस्क में संचित डाटा को पढता है तथा डीवीडी को राइट भी करता है, जब तक डीवीडी राइटर नहीं आया था, तब तक डीवीडी रोम चलते थे और उससे पहले सीडी राइटर या सीडी रोम होते थे और उससे भी पहले फ्लोपी डिस्क ड्राइव होती थी, जिसमें केवल 34 एमबी डाटा ही स्टोर किया जा सकता था, आज ब्लूरे डिस्क का भी अविष्कार हो चुका है, जिसमें लगभग 40 जीबी तक डाटा स्टोर किया जा सकता है, इसके लिये कम्प्यूटर में ब्लूरे राइटर को लगाना आवश्यक होगा।
रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) :-
रैम की फुलफार्म रैन्डम एक्सिस मैमरी होती है, रैम कम्प्यूटर को वर्किग स्पेस प्रदान करती है, यह एक प्रकार की अस्थाई मैमोरी होती है, इसमें कोई भी डाटा स्टोर नहीं होता है, जब हम कोई एप्लीकेशन कम्प्यूटर में चलाते हैं, तो वह चलते समय रैम का प्रयोग करती है, कम्प्यूटर में कम रैम होने की वजह से कभी-कभी हैंग होने की समस्या आती है तथा कुछ ऐप्लीकेशन को पर्याप्त रैम नहीं मिलती है, तो वह कम्प्यूटर में नहीं चलते है, रैम कई प्रकार की आती है, जैसे- DDR, DDR1, DDR2 तथा DDR3 आजकल के प्रचलन में डीडीआर3 रैम है, रैम के बीच के कट को देखकर रैमों को पहचाना जा सकता है।
पावर सप्लाई :-
कम्प्यूटर के सभी भागों को उनकी क्षमता के अनुसार पावर प्रदान करने का कार्य पावर सप्लाई करती है, इसको भी ठंडा रखने के लिये इसमें फैन लगा होता है, इसमें से मदरबोर्ड, हार्डडिस्क, डीवीडी राइटर को उचित सप्लाई देने हेतु अलग-अलग प्रकार के वायर दे रखे होते है, इसका मेन स्वीच सीपीयू के पीछे दिया होता है, जहाँ पावर केबल के माध्यम से कम्प्यूटर को पावर दी जाती है।
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